अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।५। अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।५।
नये क्षितिज, नये उपमान नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा। नये क्षितिज, नये उपमान नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा।
मै राहगीर अनजान हूं , निकला राह कठोर , पथदर्शक पथ मोड़ना , मंगल पथ की ओर !! पूर् मै राहगीर अनजान हूं , निकला राह कठोर , पथदर्शक पथ मोड़ना , मंगल पथ की ओ...
जिएंगे हर लमहे को उम्मीद से, खुद के वजूद को साबित करके दिखाएगें। जिएंगे हर लमहे को उम्मीद से, खुद के वजूद को साबित करके दिखाएगें।
देख धरा पर तहस नहस का , खेल रच दिया कुदरत ने । देख धरा पर तहस नहस का , खेल रच दिया कुदरत ने ।
आँखों में आकाश उठाएँ मन से मन की जोड़ लगाएँ। आँखों में आकाश उठाएँ मन से मन की जोड़ लगाएँ।